Wah Kya Martaba Ae Ghous Hai Bala Tera Lyrics |
Wah Kya Martaba Ae Ghaus Hai Bala Tera Manqabat Lyrics
वाह क्या मर्तबा ऐ गौस है बाला तेरा
ऊंचे ऊंचों के सरों से कदम आ'ला तेरा।
सर भला क्या कोई जाने कि है कैसा तेरा
औलिया मलते आंखें वोह है तल्वा तेरा।
क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पन्जा तेरा
शेर को खतरे में लाता नहीं कुत्ता तेरा।
तू हुसैनी ह-सनी क्यूं न मुहिय्युद्दीं हो
ऐ ख़िज़र मज्मए बह़रैन है चश्मा तेरा।
क़समें दे दे के खिलाता है पिलाता है तुझे
प्यारा अल्लाह तेरा चाहने वाला तेरा।
मुस्तफ़ा के तने बे साया का साया देखा
जिस ने देखा मेरी जां जल्वए जैबा तेरा।
इब्ने ज़हरा को मुबारक हो अरूसे कुदरत
कादिरी पाएं तसद्दुक मेरे दूल्हा तेरा।
क्यूं न क़ासिम हो कि तू इब्ने अबिल क़ासिम है
क्यूं न कादिर हो कि मुख्तार है बाबा तेरा।
न-बवी मींह अ-लवी फ़स्ल बतूली गुलशन
ह-सनी फूल हुसैनी है महक्ना तेरा।
न-बवी ज़िल अ-लवी बुर्ज बतूली मन्ज़िल
ह-सनी चांद हुसैनी है उजाला तेरा।
न-बवी खुर अ-लवी कोह बतूली मा'दिन
ह-सनी ला'ल हुसैनी है तजल्ला तेरा।
बह़रो बर' शहरो कुरा सहलो हुजुन दश्तो चमन
कौन से चक पे पहुंचता नहीं दा'वा तेरा।
हुस्ने निय्यत हो ख़ता फिर कभी करता ही नहीं
आजमाया है यगाना है दोगाना तेरा।
अर्जे अहवाल की प्यासों में कहां ताब मगर
आंखें ऐ अब्रे करम तक्ती हैं रस्ता तेरा।
मौत नदीक गुनाहों की तहें मैल के ख़ौल
आ बरस जा कि नहा धो ले येह प्यासा तेरा।
आब आमद वोह कहे और मैं तयम्मुम बरखास्त
मुश्ते ख़ाक अपनी हो और नूर का अहला तेरा।
जान तो जाते ही जाएगी क़ियामत येह है
कि यहां मरने पे ठहरा है नज़ारा तेरा।
तुझ से दर, दर से सग और सग से है मुझको निस्बत
मेरी गरदन में भी है दूर का डोरा तेरा
इस निशानी के जो सग हैं नहीं मारे जाते
हश्र तक मेरे गले में रहे पट्टा तेरा।
मेरी किस्मत की कसम खाएं सगाने बगदाद
हिन्द में भी हूं तो देता रहूं पहरा तेरा।
तेरी इज्जत के निसार ऐ मेरे गैरत वाले
आह सद आह कि यूं ख़्वार हो बिरवा तेरा।
बद सही, चोर सही, मुजरिमो नाकारा सही
ऐ वोह कैसा ही सही है तो करीमा तेरा।
मुझ को रुस्वा भी अगर कोई कहेगा तो यूंही
कि वोही ना, वोह रज़ा बन्दए रुस्वा तेरा।
हैं रज़ा यूं न बिलक तू नहीं जय्यिद' तो न हो
सय्यिदे जय्यिदे हर दहर है मौला तेरा।
फ़ख़्रे आका में रज़ा और भी इक नज्मे रफ़ीअ
चल पलिखा लाएं सना ख्वानों में चेहरा तेरा।
शायर: आला हज़रत ( इमाम अहमद रज़ा )
नात ख्वां: ओवैस रज़ा कादरी
Comments
Post a Comment