Saba Jo Aayi Hai Karbala Se Manqabat Lyrics |
Saba Jo Aayi Hai Karbala Se Manqabat Lyrics in Hindi
सबा जो आई है करबला से हज़ारों सदमे उठा रही है
हुसैन इब्ने अली के ग़म में लहू के आंसू बहा रही है।
गले पे असग़र को तीर मारा तड़प के ज़ैनब ने ये पुकारा
मिला ना पानी का एक क़तरा सकीना सब को बता रही है।
चले जो अब्बास मश्क लेकर खड़े थे घेरे हुये सितमगर
कटा जो बाजु तो रो के बोले के प्यास हमको सता रही है।
जवान बेटे ने सर कटाया हुसैन ने सबको ये बताया
लगी है अकबर को बरछी ऐसी फिज़ा भी सर को झुका रही है।
निकाली तलवार म्यां से जब भी मरे हज़ारों, हज़ारों भागे
ये कूफी समझे के तेघ अली की यहाँ पे जोहर दिखा रही है।
ये हुक्म आया लुटादो घर को बचालो उम्मत कटा लो सर को
वो वादा बचपन का पूरा करदो सदा ये कानो में आ रही है।
सबा जो आई है करबला से हज़ारों सदमे उठा रही है
हुसैन इब्ने अली के ग़म में लहू के आंसू बहा रही है।
शायर: मीलाद रज़ा कादरी
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