Tu Hai Wo Gaus Ki Har Gaus Hai Shaida Naat Lyrics | Ala Hazrat Imam Ahmed Raza

tu hai wo gaus har gaus hai Shaida tera lyrics
Tu Hai Wo Gaus Lyrics

Tu Hai Wo Gaus Naat Lyrics in Hindi


तू है वोह गौस कि हर गौस है शैदा तेरा
तू है वोह गैस कि हर गैस है प्यासा तेरा।

सूरज' अगलों के चमक्ते थे चमक कर डूबे
उफुके नूर पे है मेहर हमेशा तेरा।

मुर्ग? सब बोलते हैं बोल के चुप रहते हैं
हां असील एक नवासन्ज रहेगा तेरा।

जो वली कब्ल थे या बा'द हुए या होंगे
सब अदब रखते हैं दिल में मेरे आका तेरा।

ब क़सम कहते हैं शाहाने सरीफैनो' हरीम
कि हुवा है न वली हो कोई हम्ता तेरा।

तुझ से और दह्र के अक्ताब से निस्बत कैसी
कुत्ब खुद कौन है ख़ादिम तेरा चेला तेरा।

सारे अक्ताबे जहां करते हैं का'बे का तवाफ़
का'बा करता है तवाफ़े दरे वाला तेरा।

और परवाने हैं जो होते हैं का'बे पे निसार
शम्अ इक तू है कि परवाना है का'बा तेरा।

श-जरे सर्वे सही किस के उगाए तेरे
मा'रिफ़त फूल सही किस का खिलाया तेरा।

तू है नौशाह बराती है येह सारा गुलज़ार
लाई है फ़स्ले समन गूंध के सेहरा तेरा।

डालियां झूमती हैं रक्से खुशी जोश पे है
बुलबुलें झूलती हैं गाती हैं सेहरा तेरा।

गीत कलियों की चटक ग़ज़लें हज़ारों की चहक
बाग के साज़ों में बजता है तराना तेरा।

सफ़े हर शजरा में होती है सलामी तेरी
शाखें झुक झुक के बजा लाती हैं मुजरा तेरा।

किस गुलिस्तां को नहीं फ़स्ले बहारी से नियाज़
कौन से सिल्सिले में फैज़ न आया तेरा।

नहीं किस चांद की मन्ज़िल में तेरा जल्वए नूर
नहीं किस आईने के घर में उजाला तेरा।

राज किस शहर में करते नहीं तेरे खुद्दाम
बाज किस नहर से लेता नहीं दरिया तेरा।

मजए चिश्तो बुख़ारा' व इराको अजमेर
कौन सी किश्त पे बरसा नहीं झाला तेरा।

और महबूब हैं, हां पर सभी यक्सां तो नहीं
यूं तो महबूब है हर चाहने वाला तेरा।

उस को सो फ़र्द सरापा ब फ़रागत ओढ़ें
तंग हो कर जो उतरने को हो नीमा तेरा।

गरदने झुक गई सर बिछ गए दिल लौट गए।
कश्फे साक़ आज कहां येह तो कदम था तेरा।

ताजे फ़र्के उ-रफ़ा किस के कदम को कहिये!
सर जिसे बाज दें वोह पाउं है किस का तेरा।

सुक्र के जोश में जो हैं वोह तुझे क्या जानें
खिज्र के होश से पूछे कोई रुत्बा तेरा।

आदमी अपने ही अहवाल पे करता है क़ियास
नशे वालों ने भला सुक्र निकाला तेरा।

वोह तो छूटा ही कहां चाहें कि हैं जेरे हज़ीज़
और हर औज से ऊंचा है सितारा तेरा।

दिले आ'दा को रज़ा तेज़ नमक की धुन है
इक ज़रा और छिड़क्ता रहे ख़ामा तेरा।

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