Tu Mujhko Kya Samajhta Hai | Mohammad Ali Faizi Lyrics |
Tu Mujhko Kya Samajhta Hai Naat Lyrics in Hindi
गुलामे शाहे बतहा हूं तू मुझको क्या समझता है
दरे ख़्वाजा का मंगता हूं तु मुझको क्या समझता है।
कहा शब्बीर ने ललकार कर शिम्रे लईं सुनले
अली हैदर का बेटा हूं तू मुझको क्या समझता है।
मैं बचपन से दीवाना हूं शहे अहमद रज़ा खां का
बरेली का मै शैदा हूं तू मुझको क्या समझता है।
लगाले ज़ोर चाहे हिन्द से मै जा नहीं सकता
मै ख़्वाजा का बसाया हूं तु मुझको क्या समझता है।
शायर: सय्यद शबाहत हुसैन
नातख़्वां: मोहम्मद अली फैज़ी
Tu mujhko kya samajhta hai is ka bas 4 asaar likha he baki ki aata farmade
ReplyDeleteThanks for suggesting
DeleteInshallah