Wah Kya Judo Karam Hai Lyrics - Ala Hazrat Imam Ahmad Raza

Wah Kya Judo Karam Hai Lyrics in Hindi

Wah Kya Judo Karam Hai Lyrics in Hindi


Wah Kya Judo Karam Hai Lyrics in Hindi


वाह क्या जूदो करम है शहे बत़्ह़ा तेरा
नहीं सुनता ही नहीं मांगने वाला तेरा।

धारे चलते हैं अता के वोह है क़तरा तेरा
तारे खिलते हैं सखा के वोह है ज़र्रा तेरा।

फैज़ है या शहे तस्नीम निराला तेरा
आप प्यासों के तजस्सुस में है दरिया तेरा।

अग्निया पलते हैं दर से वोह है बाड़ा तेरा
अस्फ़िया चलते हैं सर से वोह है रस्ता तेरा।

फ़र्श वाले तेरी शौकत का उ़लू क्या जानें
खुसरवा अर्श पे उड़ता है फरेरा तेरा।

आस्मां ख्वान, ज़मीं ख्वान, जमाना मेहमान
साहिबे खाना लकब किस का है तेरा तेरा।

मैं तो मालिक ही कहूंगा कि हो मालिक के हबीब
यानी महबूबो मुहिब में नहीं मेरा तेरा।

तेरे क़दमों में जो हैं गैर का मुंह क्या देखें
कौन नज़रों पे चढ़े देख के तल्वा तेरा।

बहूरे साइल का हूं साइल न कुंएं का प्यासा
खुद बुझा जाए कलेजा मेरा छींटा तेरा।

चोर हाकिम से छुपा करते हैं यां इस के ख़िलाफ़
तेरे दामन में छुपे चोर अनोखा तेरा।

आंखें ठन्डी हों जिगर ताजे हों जानें सैराब
सच्चे सूरज वोह दिलआरा है उजाला तेरा।

दिल अबस ख़ौफ़ से पत्ता सा उड़ा जाता है
पल्ला हलका सही भारी है भरोसा तेरा।

एक मैं क्या मेरे इस्यां की हक़ीक़त कितनी
मुझ से सो लाख को काफ़ी है इशारा तेरा।

मुफ़्त पाला था कभी काम की आदत न पड़ी
अब अमल पूछते हैं हाए निकम्मा तेरा।

तेरे टुकड़ों से पले गैर की ठोकर पे न डाल
झिड़कियां खाएं कहां छोड़ के सदक़ा तेरा।

ख्वारो बीमारो ख़तावारो गुनहगार हूं मैं
राफेओ नाफेओ शाफ़ेअ लकब आका तेरा।

मेरी तक़दीर बुरी हो तो भली कर दे कि है
महूवो इस्बात के दफ्तर पे कड़ोड़ा तेरा।

तू जो चाहे तो अभी मैल मेरे दिल के धुलें
कि खुदा दिल नहीं करता कभी मैला तेरा।

किस का मुंह तकिये कहां जाइये किस से कहिये
तेरे ही कदमों पे मिट जाए येह पाला तेरा।

तूने इस्लाम दिया तूने जमाअत में लिया
तू करीम अब कोई फिरता है अतिय्या तेरा

मौत सुनता हूं सितम तल्ख है ज़हराबए नाब
कौन ला दे मुझे तल्वों का गसाला तेरा।

दूर क्या जानिये बदकार पे कैसी गुज़रे
तेरे ही दर पे मरे बे-कसो तन्हा तेरा।

तेरे सदके मुझे इक बूंद बहुत है तेरी
जिस दिन अच्छों को मिले जाम छलक्ता तेरा।

ह-रमो तयबा व बगदाद जिधर कीजे निगाह
जोत पड़ती है तेरी नूर है छनता तेरा।

तेरी सरकार में लाता है रज़ा उस को शफ़ीअ
जो मेरा गौस है और लाडला बेटा तेरा।

शायर: आला हज़रत ( इमाम अहमद रज़ा ख़ान )

Comments