Hamare Dil Se Zamane Ke Gam Mita Ya Rab Hamd Lyrics | Hazrat Iliyas Attar Qadri

Hamare Dil Se Zamane Ke Gam Mita Ya Rab Hamd Lyrics
Hamare Dil Se Zamane Ke Gam Mita Ya Rab Hamd Lyrics


Hamare Dil Se Zamane Ke Gam Mita Ya Rab Hamd Lyrics


हमारे दिल से जमाने के गम मिटा या रब
हो मीठे मीठे मदीने का गम अता या रब।

गमे हयात अभी राहतों में ढल जाएं
तेरी अता का इशारा जो हो गया या रब।

पए हुसैनो हसन फातिमा अली हैदर
हमारे बिगड़े हुए काम दे बना या रब।

हमारी बिगड़ी हुई आदतें निकल जाएं
मिले गुनाहों के अमराज से शिफ़ा या रब।

मुझे दे खुद को भी और सारी दुन्या वालों को
सुधारने की तड़प और हौसला या रब।

हमेशा हाथ भलाई के वासिते उठठे
बचाना जुल्मो सितम से मुझे सदा या रब।

रहें भलाई की राहों में गामज़न हर दम
करें न रुख मेरे पाउं गुनाह का या रब।

गुनाहगार तलब गारे अफ़्वो रहमत है
अज़ाब सहने का किस में है हौसला या रब।

करम से "नेकी की दावत" का खूब जज्बा दे
दूं धूम सुन्नते महबूब की मचा या रब।

अता हो सुन्नी को कुबूले आम
इसे शुरूरो फितन से सदा बचा या रब।

मैं पुल सिरात बिला ख़ौफ़ पार कर लूंगा
तेरे करम का सहारा जो मिल गया या रब।

कहीं का आह ! गुनाहों ने अब नहीं छोड़ा
अजाबे नार से अत्तार को बचा या रब।

शायर: हज़रत इलियास अत्तार कादरी

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