Mere Pyare Aaqa Ki Shaan Hi Nirali Hai Naat Lyrics |
Mere Pyare Aaqa Ki Shaan Hi Nirali Hai Naat Lyrics
मेरे प्यारे आका की शान ही निराली है
दो जहां के दाता हैं और हाथ खाली है।
खुल्द जिस को केहतें हैं मेरी देखी भाली है
सब्ज सब्ज गुंबद हैं और सुनेहरी जाली है।
चाँद की तरह उन को हम कहें तो मुजरिम हैं
क्यूं के उन की चौखट पर चाँद खुद सवाली है।
हर तरफ मदीने में भीड़ है फकीरों की
एक देने वाला है सारा जग सवाली है।
हम गुनाहगारों को वो रब से बख्शवाएंगे
उन के रब ने कब उन की कोई बात टाली है।
ज़िन्दगी हकीकत में बस उसी ने पाई है
मुस्तफा के क़दमों में जिसको मौत आई है।
मुझको मेरे मुरशिद ने बात ये बताई है
जो नबी का हो जाए उसकी कुल खुदाई है।
चारसूं अँधेरा था जुल्मतों का डेरा था
आका तेरे आने से बज्म जगमगाई है।
रखलिया भरम तेरा आमिना के जाए ने
नाज़ पर हलीमा है के मुस्तफ़ा की दाई है
मौजे तुफान भला क्या डुबोएगी उसको
ए अलीम आका से जिसने लो लगाई है।
मेरे प्यारे आका की शान ही निराली है
दो जहां के दाता हैं और हाथ खाली है।
शायर: अलीम रज़ा
नातख्वां: ओवैस रज़ा कादरी
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